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मुझे लगता है कि कविताओं पर पहला अधिकार वंचितों का

मुझे लगता है कि कविताओं
पर पहला अधिकार वंचितों
का ही होना चाहिये,ये उनके
लिये पहली सार्वभौमिक घोषणा
हो,किसी राजनीतिक सब्जबाग
से परे, क्युँ ? इसलिये क्युँकि
कवितायें इनमें से ही आती है
है,ये कृतित्व के सबसे सहज
आधार है जो हमेशा हमारे
आस पास रहते है विषयों में
जहाँ इनकी भाषा चूकती है
कविताएं वयक्त कर देती है
कविताएं संविधान नही होती
ना इनके लिये संवैधानिक
अवसरों की व्याख्या करती है
ना बुनियादी अधिकारों की 
कोई घोषणा करती है
कविताएं महज अपने साथ 
साझा करती है इनका दर्द 
और समाज के सामने केवल
एक सार्वभौमिक प्रश्न #वंचित कविता
मुझे लगता है कि कविताओं
पर पहला अधिकार वंचितों
का ही होना चाहिये,ये उनके
लिये पहली सार्वभौमिक घोषणा
हो,किसी राजनीतिक सब्जबाग
से परे, क्युँ ? इसलिये क्युँकि
कवितायें इनमें से ही आती है
है,ये कृतित्व के सबसे सहज
आधार है जो हमेशा हमारे
आस पास रहते है विषयों में
जहाँ इनकी भाषा चूकती है
कविताएं वयक्त कर देती है
कविताएं संविधान नही होती
ना इनके लिये संवैधानिक
अवसरों की व्याख्या करती है
ना बुनियादी अधिकारों की 
कोई घोषणा करती है
कविताएं महज अपने साथ 
साझा करती है इनका दर्द 
और समाज के सामने केवल
एक सार्वभौमिक प्रश्न #वंचित कविता
kamalsharma8553

kamal sharma

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#वंचित कविता