जाना जानती हूं तुम्हें मैं।। इतने पत्थर दिल नहीं हो तुम की मुझे रुलाकर तुम मुस्कुराओ जुदाई में आंखें तुम्हारी भी भींगी थी साथ मेरे रोए तुम भी थे जाना जानती हूं तुम्हें मैं।। छोड़कर जाना तुम भी नहीं चाहते थे रूलाना मुझे कभी नहीं चाहते थे शायद आज भी और तब भी तुम मुझे अपनी जान से भी ज्यादा चाहते थे जाना जानती हूं तुम्हें मैं।। रही होगी तुम्हारी भी कोई मजबूरी मुझसे दूर जाने की तो तुम्हारे दिल ने भी नहीं दी होगी मंजूरी नासमझ शायद दोनों ही थे जो समझ ना सके एक दूसरे को कभी जाना जानती हूं तुम्हें मैं।। भरी महफ़िल अब तुम्हें हम बेवफा नहीं कहेंगे ना तुम्हारी बेवफाई के किस्से लिखेंगे जाना जानती हूं तुम्हें मैं।। तुम दिल के सच्चे हो जैसे भी हो बहुत अच्छे हो जाना जानती हूं तुम्हें मैं।। #जाना_जानती_हूं_तुम्हें_मैं