साक से टूट कर पत्ते भी सूख जाते है, खुद को मनाने पर अपने भी रुठ जाते है. कभी तन्हाइ तो कभी विरान होते है, मुस्कुराते है अगर तो सपने भी टूट जाते है. लिखना क्या सायरी हम तो गजल भी खूब लिखते है, पढ़ने वाले भी अक्सर हमसे हमारा हाल पुछ जाते है. ©yadav neelu #Tanhaaiya #Nature