शब की मैली चादर ओढ़े मृदुल मन की छाया। सिसक-सिसक कर नीर नयन में इक लम्हा उतराया। हवा सी सरसराहट थी वो तेरी इक हल्की सी आहट। सोते मन को जगा दिया आज फिर रुला दिया। पत्तों सा गिर पड़ा व्याकुल मन धरा पर। चुपके - चुपके आंसू का इक टुकड़ा जुदा किया। सोते मन की पीड़ा को आज फिर जगा दिया। ... Pankaj Patel #man vkcareerguru