हस्बे माहौल खुद को ढाल लेती हूँ, कोई दिल शिकनी करे तो दिमाग से निकाल देती हूं//१ नहीं करती थप्पड़ के बाद, दूसरा गाल आगे,कोई हाथ उठाए फिर दो खीच कर सामने वाले के गाल लाल कर देती हूं//२ हस्बे वक़्त ने सांपो का एहसास करवा दिया मुझको अब एकआध को तो मैं,आस्तीन में पाल देती हूँ//३ अफसोस मुझे फसाने की तेरी पुरजोर साज़िशे ,मैं तुझ जैसी मीठी छुरी को पिटारे में डाल देती हूँ//४ बहुत जला चुकी अपना हाले जिगर,मैं तेरी लगाई आग से, अब तेरे घडियाली अश्क को तो हरबार टाल देती हूँ//५ शमा ने मोम कर रखा था दिल,जब रिश्ते मासूम से थे, अब चालाक हो चुके रिश्तो को मज़े से उछाल देती हूँ//६ शमीम अख्तर/शमा write ✍️ ©IM binte hawwa shama write #septembercreator#सिद्धार्थ_शुक्ला#हिसाब_रखा_करो#Nojotoenglish#मेरी_कलम_से#दिल_की_बात Kapil Nayyar dhyan mira MM Mumtaz Lawyer Bhati aman6.1