मैं बच्चा था, नादान था, अच्छा था {एक कहानी कविता के रूप में} बचपन में बच्चा था नादान था सच्चा था लाख शरारत के बाद भी मैं अच्छा था।। पापा से मार तो माँ से प्यार मिलती थी बहुत एक टूटे गुड़िया के खातिर बहन से लड़ जाना अच्छा था।। खुशियों को खरीदने के लिए बस एक चब्बनी चाहिए थी डेरी मिल्क किटकैट चॉकलेट से वो ऑरेंज कैंडी अच्छा था।।