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आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर मैंने ए

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर मैंने एक गरीब को
ठंड से ठिठुरते देखा
ना कम्बल  ना कोई अलाव,
ना किसी का उससे कोई लगाव। ho ske to aisa logo ki help Kare🙏🙏🙏
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर मैंने एक गरीब को
ठंड से ठिठुरते देखा
ना कम्बल  ना कोई अलाव,
ना किसी का उससे कोई लगाव। ho ske to aisa logo ki help Kare🙏🙏🙏
nasamjhladki6283

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