विहंग तरु की छाया में, कितना समय बिताया है। फिर भी उसने तो, हर वक्त गले लगाया है।। ना ही कुछ मांगा मुझसे, ना कोई आस लगाई है। देने के सिवाय सिर्फ, देने की उसकी गुहाई है।। योगेश कुमार मिश्र "योगी" परहित....