आखिर कब तक सहूँ ये दर्दे जुदाई ऐ दिलरुबा, आखिर कब तक रहूं मैं तन्हा तेरे बिना मेरे हमदम, आखिर कब तक तुझसे मिलने की आस रखूँ दिल में, अब ये सिलसिला जुदाई का मुझसे सहा नही जाता।। ©amirpoetry #Poetry #Dard _e #judai #amirpoetry