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आखिर कब तक सहूँ ये दर्दे जुदाई ऐ दिलरुबा, आखिर कब

आखिर कब तक सहूँ ये दर्दे जुदाई ऐ दिलरुबा,
आखिर कब तक रहूं मैं तन्हा तेरे बिना मेरे हमदम,
आखिर कब तक तुझसे मिलने की आस रखूँ दिल में,
अब ये सिलसिला जुदाई का मुझसे सहा नही जाता।।

©amirpoetry #Poetry #Dard _e #judai #amirpoetry
आखिर कब तक सहूँ ये दर्दे जुदाई ऐ दिलरुबा,
आखिर कब तक रहूं मैं तन्हा तेरे बिना मेरे हमदम,
आखिर कब तक तुझसे मिलने की आस रखूँ दिल में,
अब ये सिलसिला जुदाई का मुझसे सहा नही जाता।।

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mohammadamir4028

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