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प्यासे सहरा सा बेबस मजबूर पड़ा। मैं दरिया की मौजों

प्यासे सहरा सा बेबस मजबूर पड़ा।
मैं दरिया की मौजों से था दूर खड़ा ।

अपनी क़िस्मत में ऐसी तारीकी थी।
चांद भी मेरे पास था और बेनूर खड़ा।।

सोचा था ये ख़्वाब मुकम्मल होगा मगर,
ख़्वाबों से था दुनिया का दस्तूर बड़ा।।

आंखों से जब लहू का क़तरा टपका तो,
इश्क हुआ है ख़ुद पर तब मग़रूर बड़ा।।

                     -Aliem

     #aliem #yqbhaijan  #pyasa_sahra    
#dsatur_e_duniya
प्यासे सहरा सा बेबस मजबूर पड़ा।
मैं दरिया की मौजों से था दूर खड़ा ।

अपनी क़िस्मत में ऐसी तारीकी थी।
चांद भी मेरे पास था और बेनूर खड़ा।।

सोचा था ये ख़्वाब मुकम्मल होगा मगर,
ख़्वाबों से था दुनिया का दस्तूर बड़ा।।

आंखों से जब लहू का क़तरा टपका तो,
इश्क हुआ है ख़ुद पर तब मग़रूर बड़ा।।

                     -Aliem

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#dsatur_e_duniya