दावत-ए-क़लम है, लो हाज़िर हम हो गए, आप की दावत हमें हद से अज़ीज़ है, पैग़ाम-ए-हयात-ए-जावेदाँ था, इंकार कैसे करते, इस दावत पर अधिकार है, हमारी कलम का, जी धन्यवाद आपका, दावत-ए-इख़्तियार है हमारा, रूह-ए-शायरी का जोहर दिखला दिलों में उतर जायेंगे। नमस्कार लेखकगण, अपने वादानुसार आ गए हम अपनी प्रथम चुनौती लेकर। सभी नियमों का पालन कर रचना लिखने वाले सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों को प्रशस्ति पत्र दिए जाएंँगे।🙏 आज का विषय है : दावत-ए-क़लम अनु शीर्षक में नियमों को ध्यान पूर्वक पढ़ लें। १: कोई पंक्ति सीमा नहीं है 🙏