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जिसे कभी देखा ही नही उससे बिछड़ने का मलाल क्यूँ हैं

जिसे कभी देखा ही नही उससे बिछड़ने का मलाल क्यूँ हैं ?
हर वक्त जेहन में उसी का ख्याल क्यूँ हैं ?
उससे बिछड़कर यूँ टुटा की जुड़ ना सका 
जब नसीब का ही सब खेल है तो फिर ये 
दिल उदास क्यूँ ? फिर ये दिल उदास क्यूँ हैं?
जिसे कभी देखा ही नही उससे बिछड़ने का मलाल क्यूँ हैं ?
हर वक्त जेहन में उसी का ख्याल क्यूँ हैं ?
उससे बिछड़कर यूँ टुटा की जुड़ ना सका 
जब नसीब का ही सब खेल है तो फिर ये 
दिल उदास क्यूँ ? फिर ये दिल उदास क्यूँ हैं?

फिर ये दिल उदास क्यूँ हैं?