कहां दिखती है? वो मुझे आजकल ना जाने कहाँ रहती है वो आजकल ढूँढता रहता हूँ उसे मैं यूँ आजकल उसकी कोई ख़बर नहीं है आजकल दीदार की ख़्वाहिश है, भटकता मैं ईद का 'चाँद' हो गई वो आजकल झलक एक पाने को तरसता है मन तस्वीर से ओझल हो गई आजकल बेपरवाह था मैं जब तू साथ थी मेरे अब वफ़ा बेवफ़ा सी बात आजकल ♥️ Challenge-955 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।