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अध्याय --8 सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः ।

अध्याय --8 
सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः । 
 रात्रिं युगसहस्त्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः ॥ 17 ।।

 ब्रह्माका जो एक दिन है, उसको एक हजार चतुर्युगीतककी अवधिवाला और रात्रिको भी एक हजार चतुर्युगीतककी अवधिवाली जो पुरुष तत्त्वसे जानते हैं, वे योगन कालके तत्त्व को जानने वाले हैं ॥  17 ॥

©आलोक विश्वकर्मा
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