आ रण में करके नैत्र लाल, तू माँग में भर लहू का गुलाल, तेरी पीड़ा तू ही जाने नारी, कर हर बुरी नज़र को हलाल। 🔥शेष🔥अनुशीर्षक🔥 में 🔥 पढ़ें🔥 2 "काव्य मिलन - रौद्र रस" 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 कर ले शत्रु, तू हार स्वीकार, या फिर रण में तू मुझे पुकार, बैठी हूॅं इस हृदय में कोप लिए, जा फिर बुरी दृष्टि से मुझे निहार। 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥