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कुछ तो ख़ास है, जाता हूँ जब भी मैं खुद को भूल जाता

कुछ तो ख़ास है,
जाता हूँ जब भी मैं खुद को भूल जाता हूँ,
चारो तरफ रूहानियत ही रूहानियत पता हूँ,
इस दुनियां से परे निकाल जाता हूँ,
कानों में पड़ती है जब नाम सिमरन की आवाज़,
कलेजे कों सकूँ मिलता है,
भूल कर सब दुख, दर्द, वासना,
मुझे मेरे सतगुरु का साथ मिलता है,
जो भी आता है मेरे सतगुरु की गली में,
उसका वहीं बस जाने को दिल करता है।। वो गली नहीं तिलिस्मी जगह है। लोग जाते हैं तो वापस नहीं आते। मगर देखो, भीड़ है कि कम ही नहीं होती। कमबख़्त इश्क़ और उसकी गली।

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#उसकीगलीमें
#yqdidi #yqbaba 
#collab
कुछ तो ख़ास है,
जाता हूँ जब भी मैं खुद को भूल जाता हूँ,
चारो तरफ रूहानियत ही रूहानियत पता हूँ,
इस दुनियां से परे निकाल जाता हूँ,
कानों में पड़ती है जब नाम सिमरन की आवाज़,
कलेजे कों सकूँ मिलता है,
भूल कर सब दुख, दर्द, वासना,
मुझे मेरे सतगुरु का साथ मिलता है,
जो भी आता है मेरे सतगुरु की गली में,
उसका वहीं बस जाने को दिल करता है।। वो गली नहीं तिलिस्मी जगह है। लोग जाते हैं तो वापस नहीं आते। मगर देखो, भीड़ है कि कम ही नहीं होती। कमबख़्त इश्क़ और उसकी गली।

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