तुम मुझको देखकर भी ठहरते नहीं हो। तुम मेरे सामने कभी रहते नहीं हो। बेचैनियों का शोर है ख़्यालों में मगर- तुम अपनी जुबां से कभी कहते नहीं हो। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय तुम मुझको देखकर भी ठहरते नहीं हो। तुम मेरे सामने कभी रहते नहीं हो। बेचैनियों का शोर है ख़्यालों में मगर- तुम अपनी जुबां से कभी कहते नहीं हो। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय