पैसों के पीछे पागल फिरता क्यों हर पल स्वारथ का पुतला बनता क्यों धरती पर प्यार लुटाने आया है घृणा , द्वेष , नफरत , तू करता क्यों मात मिली तो ,मौका फिर से पाया कोशिश कर फिर से नहीं भिड़ता क्यों टूटेगा नित घर्षण से पर्वत भी स्वयं के साहस को नहीं पढ़ता क्यों तन जाएगा ,धन जाएगा ,सबकुछ "हर" इसी बात को नहीं समझता क्यों ,,,,,,,,,🖋️ हरीश पटेल "हर" ग्राम - तोरन(थान खम्हरिया) बेमेतरा #हरीश पटेल