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उठती है बात जब किसी मुद्दे की तो आते हैं हजारों स


उठती है बात जब किसी मुद्दे की
तो आते हैं हजारों सवाल। 
कहते  हैं कि ऐसा होता तो सही होता
ऐसा होगा तो सही होगा। 
पर 
पर खुद हम कितना प्रयास करते हैं। 

दरसल बात यह नहीं कि मुद्दा क्या है 
बात यह है कि मुद्दा क्यों है। 
नजर घुमा कर देखें तो सामने आएंगे हर रोज़ नये सवाल
जिनके जवाब अकसर ढुंढने होते हैं हमें। 

कभी यह सोचने की भी कोशिश ना  की हमने 
क्यों है ये सब।

मानवता 
मानवता नहीं  एक शब्द है 
    जो अब किताबों तक सीमित है। 
 हमारे मौलिक अधिकार हमें मालूम हैं 
पर मौलिक कर्तव्य 
बस किताबों तक सीमित हैं। 

बातें सब करते है शांति और अखंडता की 
परंतु आजकल के हाल देख ये सब बातें ही लगतीं हैं। 
कहने को सारी मानव जाति एक है 
परंतु भेद फिर भी किए जाते है नसल, रंग आदि के आधार पर। 

सारा विश्व शांति की मांग करता है
परंतु देखते हैं मौके दूसरे देश में अशांति पैदा करने की। एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। 

कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है।

क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये।

*आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।

उठती है बात जब किसी मुद्दे की
तो आते हैं हजारों सवाल। 
कहते  हैं कि ऐसा होता तो सही होता
ऐसा होगा तो सही होगा। 
पर 
पर खुद हम कितना प्रयास करते हैं। 

दरसल बात यह नहीं कि मुद्दा क्या है 
बात यह है कि मुद्दा क्यों है। 
नजर घुमा कर देखें तो सामने आएंगे हर रोज़ नये सवाल
जिनके जवाब अकसर ढुंढने होते हैं हमें। 

कभी यह सोचने की भी कोशिश ना  की हमने 
क्यों है ये सब।

मानवता 
मानवता नहीं  एक शब्द है 
    जो अब किताबों तक सीमित है। 
 हमारे मौलिक अधिकार हमें मालूम हैं 
पर मौलिक कर्तव्य 
बस किताबों तक सीमित हैं। 

बातें सब करते है शांति और अखंडता की 
परंतु आजकल के हाल देख ये सब बातें ही लगतीं हैं। 
कहने को सारी मानव जाति एक है 
परंतु भेद फिर भी किए जाते है नसल, रंग आदि के आधार पर। 

सारा विश्व शांति की मांग करता है
परंतु देखते हैं मौके दूसरे देश में अशांति पैदा करने की। एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। 

कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है।

क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये।

*आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
dikshabahri3725

Diksha Bahri

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