बहोत ईतराते हो ना , अपनी आलीशान कोठीयों, शीशे के मक़ानात पर , मौत का फरिश्ता एक पल में जागीर बदल देगा , फिर वही छह फीट का घर, आखिरी मन्ज़िल क़ब्र । ©Siddiqui Adnan ईतराना , ईतराहट ( घमन्ड)