हर ज़र्रे जर्रे को मेरी तलाश थी, मेरी कमियां थी सुनहरी, चमकती हर शाम थी, कुछ वादे , कुछ कसमे, कुछ सिसक में डूबी, (२) डूबती हर शाम थी, कि हर ज़र्रे जर्रे को मेरी तलाश थी, फ़ना थी ख़यालो में अल्फाज़ो से बेबस, समेट आंसुओ को, करती मुलाकात थी, कभी मुस्कुराती, तो कभी शरमाती, सहम इल्ज़ामो से पहचान छुपाती, तारीखों में दफन हुई मेरी वो जान थी। कि हर ज़र्रे जर्रे को मेरी तलाश थी, "हर ज़र्रे जर्रे को मेरी तलाश थी" #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqdada #hindi #urdu #poetry