कविता: स्त्री का चरित्र। धन-दौलत एशो-आराम के लिए, कुछ स्त्रियाँ प्यार में धोखा देती हैं। प्यार मोहब्बत रब का दूसरा रूप, स्त्री का चरित्र त्रिया चरित्र समान। अक्सर रूला जाते है हमें वो लम्हे, भविष्य में क्या होगा सोच घबराते। वैसे स्त्री नारायणी जो सघर्ष करती, हर रिश्ता वचन देकर भी निभाती। भेदभाव बिल्कुल ना कभी करती, ऊंच-नीच बिल्कुल नहीं ये मानती। स्त्री नारायणी हमेशा ही तो महान, उन पर बहुत ज़्यादा हैं अभिमान। ©Das Sumit Malhotra Sheetal कविता: स्त्री का चरित्र। धन-दौलत एशो-आराम के लिए, कुछ स्त्रियाँ प्यार में धोखा देती हैं। प्यार मोहब्बत रब का दूसरा रूप, स्त्री का चरित्र त्रिया चरित्र समान।