ज़िंदगी की इस जद़दोजहद में आराम फरमाना भूल गए, थक कर सो जाने को ही चैन की आदत बना ली; रूह की थकावट मिटाने का नाम देकर, चंद नशे की लतों में ज़िंदगी बिता ली; ग़म पी जाने का ऐसा लगा चस़का, ग़म न होते हुए भी पीने की आदत लगा ली; जो कदम ख़ुदको क़ब्र तक न पहुंचा सकेंगे कभी, उन कदमों के आगे बढ़ने पर नाज़ में नाक उठा ली; अंदर क़ैद नूर यूं तड़पता रहा आज़ाद होने को, बाहर परिंदे आज़ाद कर सुकून की शोहरत बना ली; छुट़टी के इंतज़ार में सारी उम्र की कर दी छुट्टी, बस ज़िंदगी की इस जद़दोजहद में आराम फरमाना भूल गए। "ढलते दिन" #YQbaba#YQdidi#