वो इश्क़ ही क्या जिसकी खूबसूरती मुलाक़ात की मोहताज़ हो
मेरे गोविन्द को देखो हर धुन मानो उसीका राग हो
हर धुन कहती है राधा जो कानों को मीरा बताती है
मेरे सांवले सरकार की तो दुनिया दीवानी है
तेरा इश्क़ मुझसे बेहिसाब प्रमाण चाहता है
कभी मुझपर, कभी मेरे बर्ताव पर प्रश्न करता है
माफ़ करना मुझको ये इश्क़ मेरी समझ से बाहर है..
ना मैं राधा की रजधूलि सी ना मीरा की ही रजधूलि सी #कहानी