ज़िन्दगी जीवन का कालक्रम, नापते हम जिसे जीना सामान, उतार चढ़ाव पड़ाव तमाम, हर मोड़ पर संभला जो कार्यक्षम, वही है जिंदा वही होता कायम, ज़िनाकार तो जिंदा लाश, किरम, अपने हीं हाथ में अपना करम, सदकर्म कर लो या खटकरम, मुस्कान सदका बेदाम, लेन देन से होता न कम, परिश्रम के मुताबिक ही पाते मुकाम फिर ज़िंदगी से शिकवा कैसा कासिम ! #खिचड़ी #International_Ask_A_Question_Day