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कभी सोचते हैं हम, कि ऐसा क्यों हो रहा है, विवेक को

कभी सोचते हैं हम, कि ऐसा क्यों हो रहा है,
विवेक को मारके के आदमी, बुद्धि पे खुश हो रहा है।

छिड़ने वाला है, महाभारत का युद्ध फिर से,
दुष्टों का महा दल, अपनी बुद्धि पे खुश हो रहा है।

सत्य का अर्जुन ,ज्ञान का भीष्म पितामह,
अपनों का देख सर्वनाश, किंचित मन रो रहा है।

ऐसा नहीं कि दुष्ट भयभीत नहीं है, उनका 
कोई अपना ही ,कुछ चक्रों का बीज बो रहा है।

©Anuj Ray
  # ऐसा क्यों हो रहा है,"
भारत रत्न, हृदय सम्राट प्रधानमंत्री जी को कोटि-कोटि स बधाई प्रणाम
anujray7003

Anuj Ray

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# ऐसा क्यों हो रहा है," भारत रत्न, हृदय सम्राट प्रधानमंत्री जी को कोटि-कोटि स बधाई प्रणाम #न्यूज़

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