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5. कभी भूलकर भी नहीं देखना चाहती जो कोई और सपना त

5.
कभी भूलकर भी नहीं देखना चाहती जो कोई और सपना 
तेरे दीदार की प्यासी इन आंखो का हिजाब तू है
आखिरी कदम रखकर खड़ा हूं मैं जहां
मेरी उस मंजिल का आगाज तू है।

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written by Akki Para मेरी उस मंजिल का आगाज तू है
5.
कभी भूलकर भी नहीं देखना चाहती जो कोई और सपना 
तेरे दीदार की प्यासी इन आंखो का हिजाब तू है
आखिरी कदम रखकर खड़ा हूं मैं जहां
मेरी उस मंजिल का आगाज तू है।

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written by Akki Para मेरी उस मंजिल का आगाज तू है
garibmajdoor25712

Akki Para

New Creator

मेरी उस मंजिल का आगाज तू है