-बहुत सुंदर शब्द- सुनो न मैं भी जाना चाहती हूँ बनारस घूमना चाहती हूँ तुम्हारे साथ बनारस की उन गलियों में.. जहाँ के बारे में अक्सर तुम बताया करते हो.. कभी तो गयी नहीं हूँ मैं वहाँ लेकिन तुम्हारी आँखों से.. कई बार देखा है मैंने बनारस अपना न होकर भी अब अपना सा लगने लगा है.. सुनो न घूमना चाहती हूँ मैं बनारस के उन घाटों में तुम्हारा हाथ पकड़ के.. जहाँ न जाने कितनी प्रेम कहानियाँ हर रोज जन्म लेती है.. माँगना चाहती हूँ तुम्हें भोले नाथ से हमेशा के लिए.. सुनो न रहना चाहती हूँ तुम्हारे साथ हमेशा बनारस में.. जहाँ हर प्रेम कहानी.. हमेशा के लिए अमर हो जाती है मैं भी अमर करना चाहती हूँ अपनी प्रेम कहानी.. सुनो न चलना चाहती हूँ मैं बनारस यूँ तो गंगा हर जगह है.. लेकिन नहाना चाहती हूँ मैं तुम्हारे साथ बनारस की गंगा में.. #मेरेएहसास #paidstory9