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बेटियों के कहाँ अपने घर या शहर होते हैं हम तो बस च

बेटियों के कहाँ अपने घर या शहर होते हैं
हम तो बस चल देती हैं
खूंटे की गाय की तरह
पिता के साथ , पति के साथ...

जहाँ-जहाँ घर मेरा बसता रहा
वो शहर अपना ,
मेरा अपना लगता रहा ...

हर शहर दिल में मेरे बसता रहा
ये देश बड़ा सा , मुझे 
मेरा छोटा सा शहर लगता रहा... #MeraShehar
बेटियों के कहाँ अपने घर या शहर होते हैं
हम तो बस चल देती हैं
खूंटे की गाय की तरह
पिता के साथ , पति के साथ...

जहाँ-जहाँ घर मेरा बसता रहा
वो शहर अपना ,
मेरा अपना लगता रहा ...

हर शहर दिल में मेरे बसता रहा
ये देश बड़ा सा , मुझे 
मेरा छोटा सा शहर लगता रहा... #MeraShehar