भले अबला कहे कोई, नहीं परवाह है मुझको। करूँ परिवार का पोषण,मिली नव राह है मुझको। बुराई क्या भला बोलो, कमाकर पेट भरने में- मिले सम्मान थोड़ा सा,यही बस चाह है मुझको। #चित्राधारित_लेखन #मुक्तक #विश्वासी