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रूह भी कांप जाती है मेरी, जब इज्ज़त एक औरत की, सार

रूह भी कांप जाती है मेरी,
जब इज्ज़त एक औरत की,
सारे आम नीलाम होती है,
गुस्सा इस बात पर आता है,
जब लोग आंखे खोलकर,
तमाशा उस औरत का देख रहे होते है।

©Rakhi Saiyam #Parchhai #इज्जत_दोगे_इज्जत_पाओगे #आत्मसम्मान
रूह भी कांप जाती है मेरी,
जब इज्ज़त एक औरत की,
सारे आम नीलाम होती है,
गुस्सा इस बात पर आता है,
जब लोग आंखे खोलकर,
तमाशा उस औरत का देख रहे होते है।

©Rakhi Saiyam #Parchhai #इज्जत_दोगे_इज्जत_पाओगे #आत्मसम्मान