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"व्यथा अपने दिल में दबा लिया करता हूँ मैं राहत हँ

"व्यथा अपने दिल में दबा लिया करता हूँ मैं 
राहत हँस हँस कर के पा लिया करता हूँ मैं।
मिलले जो एक बार मुझे, भूल नहीं सकता 
सिक्का यूँ अपना जमा लिया करता हूँ मैं।
बेईमानी से पैसे कमाने कोई जरूरत नहीं 
ईमान के पैसे से घर चला लिया करता हूँ मैं।
लोग समझते हैं खुशहाल जिन्दगी रहा ज़ी
क्या जानें गम कैसे छुपा लिया करता हूँ मैं।
पी जाता गुस्सा पलट कर जवाब देता नहीं 
शान्त यूँ लोगों को करा लिया करता हूँ मैं।
बीज़ नफ़रत के बोने वाले हैं दुश्मन देश के 
ऐसे लोगों से दूरी ही बना लिया करता हूँ मैं। 
जब कोई उलझन जिन्दगी में आ खड़ी होती 
ख्वाब में मिल माँ से सुलझा लिया करता हूँ मैं।
जिन्दगी से होने लगता जब दिल कुछ उचाट 
चक्कर कहीं बाहर का लगा लिया करता हूँ मैं।
जो अपनी गाते रहते सुनते नहीं किसी और की
पिण्ड ऐसे लोगों से शीघ्र छुड़ा लिया करता हूँ मैं।
जानता ये ' कि' नहीं समय है इतना किसी के पास 
दुखड़ा दिल का खुद को सुना लिया करता हूँ मैं।"

©Ashish
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#Struggles