यूँ अकेले बैठ कर आँसू बहाता हूँ तुम अगर जो देख लो तो मुस्कुराता हूँ इक तड़प है दिल में फिरसे दिल लगाने की पर तुम्हारी फितरतें हैं भूल जानें की टूटने को रेत पर फिर घर बनाता हूँ यू अकेले बैठ कर आँसू बहाता हूँ