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हवा और दुपट्टा मेरी हृदयवासी मेरी प्रियतम के मुख च

हवा और दुपट्टा मेरी हृदयवासी मेरी प्रियतम के
मुख चुनरी को कैसे छेड़ा ,
ए पवन तुम्हारी ये मजाल
उस झोंके को क्यूं ना मोरा ।

वो आन मेरी सम्मान मेरी
वो इश्क़ की है वरदान मेरी ,
ये गलती है तेरी अक्षम्य
अब करेंगे तुमको दंडित हम ।

इस भूल की कीमत क्या होगी
इसका है पवन को भान नहीं ,
या तो ख़ामोश रहूं बैठा।  
या पवन से मरी समर होगी ।

जो रण कौशल दिखलाएगा 
शत्रु को धूल चटाएगा ,
जो हारा वो यम का होगा 
रणविजय ही यहां अमर होगा ।

जय कुमार "जनार्दन #तेरीचुनरी #दुप्पटा
#दुपट्टाऔरहवा
#राधाकीचुनरी
हवा और दुपट्टा मेरी हृदयवासी मेरी प्रियतम के
मुख चुनरी को कैसे छेड़ा ,
ए पवन तुम्हारी ये मजाल
उस झोंके को क्यूं ना मोरा ।

वो आन मेरी सम्मान मेरी
वो इश्क़ की है वरदान मेरी ,
ये गलती है तेरी अक्षम्य
अब करेंगे तुमको दंडित हम ।

इस भूल की कीमत क्या होगी
इसका है पवन को भान नहीं ,
या तो ख़ामोश रहूं बैठा।  
या पवन से मरी समर होगी ।

जो रण कौशल दिखलाएगा 
शत्रु को धूल चटाएगा ,
जो हारा वो यम का होगा 
रणविजय ही यहां अमर होगा ।

जय कुमार "जनार्दन #तेरीचुनरी #दुप्पटा
#दुपट्टाऔरहवा
#राधाकीचुनरी