लुट रही है आबरू सरेआम हम फिर भी मौन है खुद को इंसान कहते हैं पर जानते नहीं हम कौन है किसी की भी बहन बेटी लुटे हमें क्या करना है हम इंसाफ क्यों मांगे हमारी वो लगती ही कौन है जिसको सियासत सौंप दो वही इज्जत लूट लेता है अदालत भी उनके साथ हैं सबकुछ लुटाने वाली के साथ कौन है अभिनेताओं की छींक भी रूक जाए कैमरे उस पर से हटते नहीं किसान की सांस भी रूक जाए उसको पूछने वाला कौन है क्रिकेटरों के बीवी बच्चे क्या खाते है सबको पता है पर सरहद पर सैनिक रोज मरते हैं जानने वाला कौन है दुनिया की ना सोच अपनी जैब भरता रह तमाम उम्र सयाना बन 'स्वरूप' आखिर जमाने में दौलत बिना अपना कौन है हम कौन है