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{Bolo Ji Radhey Radhey} मेघनाद वध :- 💠 सुलोचना मे

{Bolo Ji Radhey Radhey}
मेघनाद वध :- 💠 सुलोचना मेघनाथ की पत्नी व भगवान विष्णु के शेषनाग वासुकी की पुत्री थी। चूँकि लक्ष्मण शेषनाग के ही अवतार थे इसलिये वे सुलोचना के पिता व मेघनाथ के ससुर लगते थे। सुलोचना को नाग कन्या कहा जाता था व कुछ पुस्तकों के अनुसार उसका नाम प्रमीला भी बताया गया है। युद्धभूमि में जब मेघनाथ लक्ष्मण के हाथो वीरगति को प्राप्त हो गया था तब सुलोचना अपने पति के शरीर के साथ सती हो गयी थी। हालाँकि इस कथा का उल्लेख ना तो वाल्मीकि रचित रामायण व ना ही तुलसीदास रचित रामचरितमानस में मिलता है। कुछ अन्य भाषाओँ मुख्यतया तमिल भाषा की कथाओं में इसका प्रमुखता से उल्लेख मिलता है। 

सुलोचना व मेघनाथ का अंतिम मिलन :-  💠 तीसरी बार युद्ध में जाते समय मेघनाथ को यह ज्ञात हो गया था कि श्रीराम व लक्ष्मण कोई साधारण मानव नही अपितु स्वयं नारायण का रूप है तो वह अपने माता-पिता व सुलोचना से अंतिम बार मिलने आया। वह अपने माता-पिता से मिलकर जाने लगा तब उसने सुलोचना को देखा। सुलोचना से वह इसलिये नही मिलना चाहता था क्योंकि उसे लग रहा था कि कही सुलोचना के आंसू देखकर वह भी भावुक हो जायेगा व युद्ध में कमजोर पड़ जायेगा किंतु जब उसने सुलोचना का मुख देखा तो अचंभित रह गया। सुलोचना के आँख में एक भी आंसू नही था तथा वह अपने पति को गर्व से देख रही थी। हालाँकि उसे भी पता था कि आज उसका अपने पति के साथ अंतिम मिलन है लेकिन एक पतिव्रता व कर्तव्यनिष्ठ नारी होने के कारण उसने अपने पति को युद्ध में जाने से पूर्व उनके कर्तव्य में उनका साथ दिया व अपनी आँख से एक भी आंसू नही गिरने दिया।

मेघनाथ का वध होना :-  💠 जब लक्ष्मण मेघनाथ का वध करने जाने लगे तब भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि चूँकि सुलोचना एक पतिव्रता नारी है इसलिये मेघनाथ का मस्तक भूमि पर ना गिरे। इसलिये जब लक्ष्मण ने मेघनाथ का मस्तिष्क काटकर धड़ से अलग कर दिया तो उसे श्रीराम के चरणों में रख दिया।

मेघनाथ की भुजा पहुंची सुलोचना के पास :- 💠 भगवान श्रीराम लंका व सुलोचना को यह बता देना चाहते थे कि युद्ध में मेघनाथ वीरगति को प्राप्त हो चुका है। इसी उद्देश्य से उन्होंने मेघनाथ की दाहिनी भुजा को काटकर धनुष-बाण से सुलोचना के पास पहुंचा दिया। जब सुलोचना ने मेघनाथ की भुजा देखी तो उसे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ। उसने उस भुजा से युद्ध का सारा वृतांत लिखने को कहा। उसके बाद एक कलम की सहायता से मेघनाथ की भुजा ने युद्ध मे घटित हुई हर घटना का वृतांत सुलोचना को लिखकर बता दिया।

सुलोचना पहुंची रावण के पास :- 💠 इसके बाद सुलोचना अपने पति की भुजा लेकर रावण के पास पहुंची व उनसे अपने पति के साथ सती होने की आज्ञा मांगी। रावण ने उसे यह आज्ञा दे दी किंतु पति के सिर के बिना वह सती नही हो सकती थी। इसलिये उसने रावण से मेघनाथ के धड़ की मांग की किंतु रावण ने शत्रु के सामने याचना करने से मना कर दिया। चूँकि राम एक मर्यादा पुरुषोत्तम पुरुष थे व उनकी सेना में ऐसे अनेक धर्मात्मा थे इसलिये उसने सुलोचना को स्वयं श्रीराम के पास जाकर मेघनाथ का मस्तिष्क लेकर आने की आज्ञा दे दी। सुलोचना लंका नरेश से आज्ञा पाकर श्रीराम की कुटिया की और प्रस्थान कर गयी।

सुलोचना ने माँगा मेघनाथ का सिर :- 
💠 जब सुलोचना भगवान श्रीराम के पास पहुंची तो श्रीराम व उनकी सेना के द्वारा उनका उचित आदर-सम्मान किया गया व श्रीराम ने उनकी प्रशंसा की। सुलोचना ने भगवान को प्रणाम किया व अपने पति का मस्तिष्क माँगा। श्रीराम ने भी बिना देरी किए महाराज सुग्रीव को मेघनाथ का सिर लाने को कहा किंतु सभी के मन में यह आशंका थी कि आखिर सुलोचना को यह सब कैसे ज्ञात हुआ। तब सुलोचना ने मेघनाथ की भुजा के द्वारा उसे सब बता देने की बात बतायी।

सुग्रीव ने किया अनुरोध :- 💠 यह सुनकर मुख्यतया वानर राजा सुग्रीव हतप्रभ थे व उन्होंने सुलोचना से मांग की कि यदि उसके पतिव्रत धर्म में इतनी शक्ति है तो वह इस कटे हुए धड़ को हंसाकर दिखाएँ। यह सुनकर सुलोचना ने उस मस्तिष्क को अपने पतिव्रत धर्म की आज्ञा देकर उसे सबके सामने हंसने को कहा। इतना सुनते ही मेघनाथ का कटा हुआ सिर जोर-जोर से हंसने लगा। सब यह देखकर आश्चर्य में पड़ गये किंतु भगवान श्रीराम सुलोचना के स्वभाव व शक्ति से भलीभांति परिचित थे। उन्होंने उस दिन युद्ध विराम की घोषणा की व लंका की सेना को अपने युवराज का अंतिम संस्कार करने को कहा ताकि सुलोचना के सती होने में किसी प्रकार का रक्तपात ना हो। इसलिये उस दिन कोई युद्ध नही हुआ था।

सुलोचना का सती होना :- 💠 अपने पति का कटा हुआ सिर लेकर सुलोचना लंका आ गयी व समुंद्र किनारे सभी मृत सैनिकों व मेघनाथ की अर्थी सजा गयी। सुलोचना धधकती अग्नि में अपने पति का सिर लेकर बैठ गयी व सभी के सामने सती हो गयी।

©N S Yadav GoldMine
  #dhundh {Bolo Ji Radhey Radhey}
मेघनाद वध :- 💠 सुलोचना मेघनाथ की पत्नी व भगवान विष्णु के शेषनाग वासुकी की पुत्री थी। चूँकि लक्ष्मण शेषनाग के ही अवतार थे इसलिये वे सुलोचना के पिता व मेघनाथ के ससुर लगते थे। सुलोचना को नाग कन्या कहा जाता था व कुछ पुस्तकों के अनुसार उसका नाम प्रमीला भी बताया गया है। युद्धभूमि में जब मेघनाथ लक्ष्मण के हाथो वीरगति को प्राप्त हो गया था तब सुलोचना अपने पति के शरीर के साथ सती हो गयी थी। हालाँकि इस कथा का उल्लेख ना तो वाल्मीकि रचित रामायण व ना ही तुलसीदास रचित रामचरितमानस में मिलता है। कुछ अन्य भाषाओँ मुख्यतया तमिल भाषा की कथाओं में इसका प्रमुखता से उल्लेख मिलता है। 

सुलोचना व मेघनाथ का अंतिम मिलन :-  💠 तीसरी बार युद्ध में जाते समय मेघनाथ को यह ज्ञात हो गया था कि श्रीराम व लक्ष्मण कोई साधारण मानव नही अपितु स्वयं नारायण का रूप है तो वह अपने माता-पिता व सुलोचना से अंतिम बार मिलने आया। वह अपने माता-पिता से मिलकर जाने लगा तब उसने सुलोचना को देखा। सुलोचना से वह इसलिये नही मिलना चाहता था क्योंकि उसे लग रहा था कि कही सुलोचना के आंसू देखकर वह भी भावुक हो जायेगा व युद्ध में कमजोर पड़ जायेगा किंतु जब उसने सुलोचना का मुख देखा तो अचंभित रह गया। सुलोचना के आँख में एक भी आंसू नही था तथा वह अपने पति को गर्व से देख रही थी। हालाँकि उसे भी पता था कि आज उसका अपने पति के साथ अंतिम मिलन है लेकिन एक पतिव्रता व कर्तव्यनिष्ठ नारी होने के कारण उसने अपने पति को युद्ध में जाने से पूर्व उनके कर्तव्य में उनका साथ दिया व अपनी आँख से एक भी आंसू नही गिरने दिया।

मेघनाथ का वध होना :-  💠 जब लक्ष्मण मेघनाथ का वध करने जाने लगे तब भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि चूँकि सुलोचना एक पतिव्रता नारी है इसलिये मेघनाथ का मस्तक भूमि पर ना गिरे। इसलिये जब लक्ष्मण ने मेघनाथ का मस्तिष्क काटकर धड़ से अलग कर दिया तो उसे श्रीराम के चरणों में रख दिया।

मेघनाथ की भुजा पहुंची सुलोचना के पास :- 💠 भगवान श्रीराम लंका व सुलोचना को यह बता देना चाहते थे कि युद्ध में मेघनाथ वीरगति को प्राप्त हो चुका है। इसी उद्देश्य से उन्होंने मेघनाथ की दाहिनी भुजा को काटकर धनुष-बाण से सुलोचना के पास पहुंचा दिया। जब सुलोचना ने मेघनाथ की भुजा देखी तो उसे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ। उसने उस भुजा से युद्ध का सारा वृतांत लिखने को कहा। उसके बाद एक कलम की सहायता से मेघनाथ की भुजा ने युद्ध मे घटित हुई हर घटना का वृतांत सुलोचना को लिखकर बता दिया।

#dhundh {Bolo Ji Radhey Radhey} मेघनाद वध :- 💠 सुलोचना मेघनाथ की पत्नी व भगवान विष्णु के शेषनाग वासुकी की पुत्री थी। चूँकि लक्ष्मण शेषनाग के ही अवतार थे इसलिये वे सुलोचना के पिता व मेघनाथ के ससुर लगते थे। सुलोचना को नाग कन्या कहा जाता था व कुछ पुस्तकों के अनुसार उसका नाम प्रमीला भी बताया गया है। युद्धभूमि में जब मेघनाथ लक्ष्मण के हाथो वीरगति को प्राप्त हो गया था तब सुलोचना अपने पति के शरीर के साथ सती हो गयी थी। हालाँकि इस कथा का उल्लेख ना तो वाल्मीकि रचित रामायण व ना ही तुलसीदास रचित रामचरितमानस में मिलता है। कुछ अन्य भाषाओँ मुख्यतया तमिल भाषा की कथाओं में इसका प्रमुखता से उल्लेख मिलता है। सुलोचना व मेघनाथ का अंतिम मिलन :- 💠 तीसरी बार युद्ध में जाते समय मेघनाथ को यह ज्ञात हो गया था कि श्रीराम व लक्ष्मण कोई साधारण मानव नही अपितु स्वयं नारायण का रूप है तो वह अपने माता-पिता व सुलोचना से अंतिम बार मिलने आया। वह अपने माता-पिता से मिलकर जाने लगा तब उसने सुलोचना को देखा। सुलोचना से वह इसलिये नही मिलना चाहता था क्योंकि उसे लग रहा था कि कही सुलोचना के आंसू देखकर वह भी भावुक हो जायेगा व युद्ध में कमजोर पड़ जायेगा किंतु जब उसने सुलोचना का मुख देखा तो अचंभित रह गया। सुलोचना के आँख में एक भी आंसू नही था तथा वह अपने पति को गर्व से देख रही थी। हालाँकि उसे भी पता था कि आज उसका अपने पति के साथ अंतिम मिलन है लेकिन एक पतिव्रता व कर्तव्यनिष्ठ नारी होने के कारण उसने अपने पति को युद्ध में जाने से पूर्व उनके कर्तव्य में उनका साथ दिया व अपनी आँख से एक भी आंसू नही गिरने दिया। मेघनाथ का वध होना :- 💠 जब लक्ष्मण मेघनाथ का वध करने जाने लगे तब भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि चूँकि सुलोचना एक पतिव्रता नारी है इसलिये मेघनाथ का मस्तक भूमि पर ना गिरे। इसलिये जब लक्ष्मण ने मेघनाथ का मस्तिष्क काटकर धड़ से अलग कर दिया तो उसे श्रीराम के चरणों में रख दिया। मेघनाथ की भुजा पहुंची सुलोचना के पास :- 💠 भगवान श्रीराम लंका व सुलोचना को यह बता देना चाहते थे कि युद्ध में मेघनाथ वीरगति को प्राप्त हो चुका है। इसी उद्देश्य से उन्होंने मेघनाथ की दाहिनी भुजा को काटकर धनुष-बाण से सुलोचना के पास पहुंचा दिया। जब सुलोचना ने मेघनाथ की भुजा देखी तो उसे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ। उसने उस भुजा से युद्ध का सारा वृतांत लिखने को कहा। उसके बाद एक कलम की सहायता से मेघनाथ की भुजा ने युद्ध मे घटित हुई हर घटना का वृतांत सुलोचना को लिखकर बता दिया। #पौराणिककथा

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