कभी मिले नहीं थे हम-तुम कभी गिले नहीं थे दरमयान कभी रुके कहाँ थे ये क़दम कभी गले लगे क्या ख़ामख़ा हाँ अब जरूर साथ है,बने हमसफ़र और हमकदम कहीं छोड़ चले है रास्ते है एक जान ,चाहे दो जिस्म हम-तुम #पारस #एक_जान #दो_जिस्म