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ऐ ज़मीं ए करबला, ज़रा बढ़कर इस्तकबाल तो कर! काफ़िल

ऐ ज़मीं ए करबला, ज़रा बढ़कर इस्तकबाल तो कर!
काफ़िला ए नवासा ए रसूल, बढ़ रहा है तुझ तरफ..!
मुकबिल है शब ए आशूरा अब तो।
 हाले आले रसूल अब क्या ही होगा...!!

✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’

©Murtaza Ali #कर्बला
ऐ ज़मीं ए करबला, ज़रा बढ़कर इस्तकबाल तो कर!
काफ़िला ए नवासा ए रसूल, बढ़ रहा है तुझ तरफ..!
मुकबिल है शब ए आशूरा अब तो।
 हाले आले रसूल अब क्या ही होगा...!!

✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’

©Murtaza Ali #कर्बला
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Murtaza Ali

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