फ़ाँसलें निगल गये एक डोर को दूरियों का अहम रोल है रिश्ते टुट गये पल में शब्दों का भी मोल है साजिश थी महज समय की किस्मत का कहाँ दोष है यूहीं नहीं बदनाम हर रोज एक नया मोड़ है ख्वाबों की दूरी है यूँ जिंदगी अधूरी है साहिल नसीब में कहाँ समंदरों से फाँसले सुना है मजबूरी है ©Shail Mehta #फासले