दीप से दीप जले, रोशन हो शादियों का अंधेरा, यह दुआ है मेरा, तुम्हारा। सवाल बस इतनी सी है, कौन है जो जुटा ले हिम्मत और होंसला इतना, के अंधेरा का सीना चीर, दे आशा का वो दीप जला? - पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें दीप से दीप जले, रोशन हो शादियों का अंधेरा, यह दुआ है मेरा, तुम्हारा। सवाल बस इतनी सी है, कौन है जो जुटा ले हिम्मत और होंसला इतना, के अंधेरा का सीना चीर,