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सुबह उठ, वही नित्य कर्म काम लगभग एक सी ढलती हुई शा

सुबह उठ, वही नित्य कर्म काम
लगभग एक सी ढलती हुई शाम
लेकिन चींटी, गधे, चिड़िया की बात करना
हम भी वैसे ही है तो क्यों खुरापात करना।
"नहीं हम जानवर नहीं, उनसे अलग है
 जानवरों को बोध नहीं, हम तो सजग है"।
 क्या अहं ही है या कुछ और है
 जहाँ इंसानों के लिये ठौर है।
 जब जानवर और हममें भेद नहीं है 
 अहंकार भरपूर, कोई भी खेद नहीं है।
 क्या हम वाकई मे परिभाषा वाले मानव है
 जब दैनंदिन एक सा है फिर तो हम दानव है।

©Kamlesh Kandpal
  #Danaw