कभी ख्वाहिशों का पिटारा खोला नहीं, बचपन बितने से पहले जवानी जो आ गई। हजारों ख्वाहिशें हैं पूरी होने को बेताब पर बचपन का दौर ही खत्म हो गया साहेब । कागज़ की कश्ती, कन्चे, हू-तू-तू.... सब बाकी हा रह गया। #ख्वाहिश #YQdidi