a-person-standing-on-a-beach-at-sunset रेस का घोड़ा जब-जब दौड़ा । सबको उसने पीछे छोड़ा ।। आता रहा हमेशा प्रथम । प्रतीत होता था मानो प्रथम आने की खा ली हो उसने कसम। अब थक चुका हार चुका यों ही दौड़ते- दौड़ते । कब तक दौड़ पाएगा भला यों ही तड़पते-तड़पते ।। रोता छटपटाटा आँसू बहाता । मगर भला क्या कभी यों ही सुस्ता पाता ।। दौड़ता जब- जब वह उस पर कितने हो जाते बलिहारी । लगता जैसे भाग रहे स्वयं रिपुदमन को त्रिपुरारी ।। हार चुका जो जीवन पथ पर । विनय कर रहा अब वो करने को विश्राम । ताकि कुछ कर सके वो अकिंचन भी विश्राम ।। जीवन पथ पर अग्रसर था जब वह बलवान । अब टूट चुका हार चुका होकर लहुलुहान ।। अश्रु बूँदों से कब तक सिंचे वो धरती । कब तक क्यों यों मेरी काया तडपती ।। दरख्त अब शाख से हो चुका अलग । अनुनय कर रहा वो उसे भी और उसकी आत्मा को भी होने दो विलग ।। ©Bharat Bhushan pathak #SunSet#बिनासिरपैरकीकवितापरमर्मस्पर्शी life quotes life quotes in hindi in life quotes life quotes images life quotes in hindi