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मां तेरे लिए कुछ खयाल लिखने थे, जो लम्हे याद आए उन

मां तेरे लिए कुछ खयाल लिखने थे,
जो लम्हे याद आए उनके एहसास लिखने थे,
बातों ही बातों में तेरा जिक्र आया,
आज कल जब मैं घर से ऑफिस निकलता हूं ना,
तो मां वो तेरा स्कूल वाला लंच बॉक्स याद आया,
ऑफिस से आने के बाद थकान जाती नहीं हैं,
बस थक कर सो जाता हूं,
बचपन की तरह सर रख सकूं तेरी गोद में,
वो अंचल नज़र ना आया,
जब भी तू दूध से छाछ बनाती थी,
उसका जो मक्खन तूने मुझे खिलाया
आज वो याद आया,
ताजा हैं मेरे जहन में वो दूरियों से भरी यादें,
तुझसे बात करके वो सिसक सिसक कर रोना आज याद आया,
अक्सर जब उस स्टेशन तक छोड़ने आती थी तू मुझे,
तुझे देख कर मुझे और मुझे देखकर तुझे,
मां तेरा वो आसुओं से नम चेहरा याद आया,
एक बात कहूं मां तुझसे,
तुझसे दूर जाने पर दर्द मिला
और तुझे पास पाकर सकूं आया...!!

©#Mr.India मां तेरे लिए कुछ खयाल लिखने थे, जो लम्हे याद आए उनके एहसास लिखने थे,
बातों ही बातों में तेरा जिक्र आया,
आज कल जब मैं घर से ऑफिस निकलता हूं ना,
तो मां वो तेरा स्कूल वाला लंच बॉक्स याद आया,
ऑफिस से आने के बाद थकान जाती नहीं हैं बस थक कर सो जाता हूं,
बचपन की तरह सर रख सकूं तेरी गोद में वो अंचल नज़र ना आया,
जब भी तू दूध से छाछ बनाती थी, उसका जो मक्खन तूने मुझे खिलाया
आज वो याद आया,
मां तेरे लिए कुछ खयाल लिखने थे,
जो लम्हे याद आए उनके एहसास लिखने थे,
बातों ही बातों में तेरा जिक्र आया,
आज कल जब मैं घर से ऑफिस निकलता हूं ना,
तो मां वो तेरा स्कूल वाला लंच बॉक्स याद आया,
ऑफिस से आने के बाद थकान जाती नहीं हैं,
बस थक कर सो जाता हूं,
बचपन की तरह सर रख सकूं तेरी गोद में,
वो अंचल नज़र ना आया,
जब भी तू दूध से छाछ बनाती थी,
उसका जो मक्खन तूने मुझे खिलाया
आज वो याद आया,
ताजा हैं मेरे जहन में वो दूरियों से भरी यादें,
तुझसे बात करके वो सिसक सिसक कर रोना आज याद आया,
अक्सर जब उस स्टेशन तक छोड़ने आती थी तू मुझे,
तुझे देख कर मुझे और मुझे देखकर तुझे,
मां तेरा वो आसुओं से नम चेहरा याद आया,
एक बात कहूं मां तुझसे,
तुझसे दूर जाने पर दर्द मिला
और तुझे पास पाकर सकूं आया...!!

©#Mr.India मां तेरे लिए कुछ खयाल लिखने थे, जो लम्हे याद आए उनके एहसास लिखने थे,
बातों ही बातों में तेरा जिक्र आया,
आज कल जब मैं घर से ऑफिस निकलता हूं ना,
तो मां वो तेरा स्कूल वाला लंच बॉक्स याद आया,
ऑफिस से आने के बाद थकान जाती नहीं हैं बस थक कर सो जाता हूं,
बचपन की तरह सर रख सकूं तेरी गोद में वो अंचल नज़र ना आया,
जब भी तू दूध से छाछ बनाती थी, उसका जो मक्खन तूने मुझे खिलाया
आज वो याद आया,
dileepkumar6979

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