Nojoto: Largest Storytelling Platform

دونوں مجرم تھے خطا کچھ تو ہوئی لیلیٰ سے اور لوگوں

دونوں مجرم تھے خطا کچھ تو ہوئی لیلیٰ سے 
اور لوگوں نے فقط قیص کو پتّھر مارے 
رضوان  حیدر कभी क़तरा तो कभी उसको समन्दर मारे 
वो भी एैसा है के हर ताज पे ठोकर मारे 

दोनों मुजरिम थे ख़ता कुछ तो हुई लैला से 
और दुनिया ने फक़त क़य्स को पत्थर मारे 

कहता है आज का आशिक़ के नहीं वक़्त यहाँ 
कौन सर अपना  कू  ए  यार  में जा कर मारे
دونوں مجرم تھے خطا کچھ تو ہوئی لیلیٰ سے 
اور لوگوں نے فقط قیص کو پتّھر مارے 
رضوان  حیدر कभी क़तरा तो कभी उसको समन्दर मारे 
वो भी एैसा है के हर ताज पे ठोकर मारे 

दोनों मुजरिम थे ख़ता कुछ तो हुई लैला से 
और दुनिया ने फक़त क़य्स को पत्थर मारे 

कहता है आज का आशिक़ के नहीं वक़्त यहाँ 
कौन सर अपना  कू  ए  यार  में जा कर मारे

कभी क़तरा तो कभी उसको समन्दर मारे वो भी एैसा है के हर ताज पे ठोकर मारे दोनों मुजरिम थे ख़ता कुछ तो हुई लैला से और दुनिया ने फक़त क़य्स को पत्थर मारे कहता है आज का आशिक़ के नहीं वक़्त यहाँ कौन सर अपना कू ए यार में जा कर मारे