"बेटीयाँ" इनका सफर 'पराये' से 'अपने' तक का क्यों होता है, जहां जन्म नाम पहचान मिला वो घर पराया क्यों होता है, किसी अनजान से जुड़े रिश्तें को उसे ताउम्र निभाना होता है, कभी स्वाभिमान के लिए समाज की आंच में जलना होता है, अपने सपनो के लिए खुद अपनो से ही क्यों लड़ना होता है, कभी भ्रूण में ही तो कभी रास्तों पर यूँ ही फेक दिया जाता है, जब सौभाग्य से मिलती है बेटीयाँ तो हर कदम पर ही संघर्ष क्यों होता है..... #nojotowrites #nojoto #hindipoetry #hindiwriter #hindi #indianwriter #daughtersdayspecial