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स्वरचित मौलिक ©®divyajoshi नदिया किनारे: जीवनशाला

नदिया किनारे: जीवनशाला

हाँ!!! मैं भी बैठना चाहती हूँ नदिया किनारे। 
महसूस करने नदी की गाथा, उसके दुःख, दर्द।
उसकी खुशियों उसके संघर्षों को जीने, 
उससे जीवन सीखने, मैं जरूर बैठूँगी एक दिन नदी किनारे।

अस्वच्छ कर दिए गए उस सरित जल को भी यूँ नि:शंक प्रवाहित होते देख, शामिल हो उस प्रवाह गाथा में, निडरता वैसी ही उपजाना चाहती हूं मैं,
divyajoshi8623

Divya Joshi

Silver Star
Growing Creator

नदिया किनारे: जीवनशाला हाँ!!! मैं भी बैठना चाहती हूँ नदिया किनारे। महसूस करने नदी की गाथा, उसके दुःख, दर्द। उसकी खुशियों उसके संघर्षों को जीने, उससे जीवन सीखने, मैं जरूर बैठूँगी एक दिन नदी किनारे। अस्वच्छ कर दिए गए उस सरित जल को भी यूँ नि:शंक प्रवाहित होते देख, शामिल हो उस प्रवाह गाथा में, निडरता वैसी ही उपजाना चाहती हूं मैं, #creativewriting #hindiwriting #ज़िन्दगी #blogger #hindistory #divyajoshi #lekhaniblog #smallwondersaanvi #djblogger #eklekhanimeribhi #abhivyaktidj

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