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रोज थोड़ा थोड़ा करके जलता मैं जा रहा हूं, ढलती शाम

रोज थोड़ा थोड़ा करके जलता मैं जा रहा हूं,
ढलती शाम के साथ यूं ढलता मैं जा रहा हूं,
कोशिश लाख की खुद को संभालने की मैंने,
मगर फिर भी धीरे धीरे से बिखरता जा रहा हूं,

आग ऐसी लगी है दिल में की अरमान सारे जल गए,
हमसे अलग होकर जिन्हें संभलना था वो संभल गए,
हम फिर से रह गए तन्हा से तड़पते हुए दर्द में यूं ही,
हम तो बस अमावस के चांद की तरह यूं ही ढल गए,

अपने सपनों से भी अब मैं पल पल बिछड़ता जा रहा हूं,
कैसे बताऊं रोज़ थोड़ा थोड़ा करके क्यों जलता जा रहा हूं।

_:—🔥✍️@my_pen_my_strength✍️🔥—:_ दहक रहा दिल का जंगल
रोज़ थोड़ा थोड़ा।
#रोज़थोड़ा  #broken #hindishayari #my_pen_my_strength #nojototales
रोज थोड़ा थोड़ा करके जलता मैं जा रहा हूं,
ढलती शाम के साथ यूं ढलता मैं जा रहा हूं,
कोशिश लाख की खुद को संभालने की मैंने,
मगर फिर भी धीरे धीरे से बिखरता जा रहा हूं,

आग ऐसी लगी है दिल में की अरमान सारे जल गए,
हमसे अलग होकर जिन्हें संभलना था वो संभल गए,
हम फिर से रह गए तन्हा से तड़पते हुए दर्द में यूं ही,
हम तो बस अमावस के चांद की तरह यूं ही ढल गए,

अपने सपनों से भी अब मैं पल पल बिछड़ता जा रहा हूं,
कैसे बताऊं रोज़ थोड़ा थोड़ा करके क्यों जलता जा रहा हूं।

_:—🔥✍️@my_pen_my_strength✍️🔥—:_ दहक रहा दिल का जंगल
रोज़ थोड़ा थोड़ा।
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