कुन्ती पुत्र था भले पर कहलाया राधेय नाम से, जग मे था सुत पुत्र भले पर इंद्र का अहंकार भी मेरे पैरो तले, वासुदेव ना थे सखा मेरे पर था मित्रता की परिभाषा के परे।। ©Kirtesh Menaria #कर्ण #महाभारत