कोरोना का कहर --- मेरी रचना ये कैसी, फैली महामारी। ग्रसित हो गई, दुनिया सारी।। अच्छा आया , है ये कोरोना। हिल गया दुनिया, का हर कोना।। इससे पहले, कभी ना देखा। कदम कदम पर , लक्षमण रेखा।। भूल गये , जीवन के सब रस। याद रह गया, एक वायरस।। मिलना जुलना ,नहीं ज़रूरी। दूरी बन गई, है मजबूरी।। इसमें नहीं ,किसी का दोष । ये तो ईश्वर ,का है प्रकोप।। रूष्ट हो गया , है भगवान। मुश्किल में है, हर एक जान।। पीड़ा में , सारा संसार । चारों ओर ,है हाहाकार।। कैसा टूटा, है ये कहर । समय भी जैसे, गया ठहर। लुप्त हुआ ,सारा अभिमान । जपने लगे , राम का नाम।। कब ये, कोरोना जायेगा। जीवन पटरी पर आयेगा।। प्रभु सुझा, कोई ऐसी युक्ति। मिले हमें इस रोग से मुक्ति।। प्रगति की, बस यही कामना । जड़ से मिट जाये ये करोना।। ©Pragati Dutt God save us from this epidemic.